RISE FOR INDIA
Editor's Pick Education News Rising Stories Society

मानव सेवा के सुनहरे पन्ने लिख रहे शिंदे

सेवा के लिए नाम की, रुतबे की या पैसों की भी जरुरत नहीं। मन में नेकी और आदर्शपथ पर चलने की तैयारी ही साधारण मनुष्य को सेवाभावी बना देती है। कुछ ऐसी ही कहानी है चंद्रपुर के एक गाडगेबाबा के सच्चे अनुयायी की। सुभाष तुकाराम शिंदे पारंपारिक व्यवसाय में ना पडते हुए विशिष्ट समुदाय के सोने-चांदे के प्रतिष्ठान को साकार कर लिया। जीवन के एक कठिण प्रसंग ने दुनिया की और जीवन की भी अंतिम सच्चाई से उन्हे अवगत करा दिया। फिर क्या था, वैज्ञानिक सोचवाले महान सुधारक संत गाडगेबाबा के आदर्श विचारों को ही अपने कर्मपथ की प्रेरणा बना दी। आज चंद्रपुर ही नहीं पूरे राज्य में सुभाष शिंदे गाडगेबाबा अर्थात डेबूजी के कर्मयोगी मानसपुत्र के रुप में जाने जाते है।

रक्तदान आंदोलन चलाया

उस समय जब रक्तदान के प्रति लोगों के मन में तरह तरह का डर, गलत फहमि और अज्ञानता थी। जनजागृति का अभाव था। उस दौर में सुभाष शिंदे ने अपने जन्म दिन पर रक्तदान करने की परंपरा शुरु की। किसी कारणवश वे स्वयं रक्त नहीं दे सकते, परंतु उन्होने कई जरुरतमंदों को रक्त उपलब्ध कराया है। इसके बदले स्वास्थ्य विभाग ने उन्हे सम्मानित भी किया है।

व्यवसायियों को सेवा से जोडनेवाला सेतू

सुभाष शिंदे दरअसल सराफ का काम करते है। उनके कुनबे में जितने भी व्यवसायी है उन्हे गाडगेबाबा की महान मानवतावादी सेवा से जोडने का अनूठा कार्य उन्होने विगत २० वर्षो से शुरु किया है। अमरावती जिले में ऋणमोचन और परिसर में गाडगेबाबा के जन्म स्थल से लेकर कर्मभूमि तक कई अनाथालय, वृध्दाश्रम और आश्रमशालाएं है। शिंदे यहां के लोगों को एकत्रित कर हर वर्ष यहां से उनके लिए कपडे, किताबे, घरेलू प्रयोग की सामग्री, किराणा सामान, चादर, नोटबूक और शैक्षणिक सामग्री आदि लेकर जाते है। इसमें जाने के लिए लंबी कतारे लगती है।

भूखे को खाना, बेसहारा को पनाह

महान कर्मयोगी संत गाडगेबाबा के दस सूत्री कार्यक्रम में भूखे को खाना, बेसहारा को सहारा ऐसा मुख्य सुत्र दिया है। कपडा, शैक्षणिक सामग्री,  घरेलू प्रयोग की जीवनावश्यक सामग्री से कोई वंचित ना रहे, सभी स्वस्थ्य रहे, ऐसा उनका कहना था। गोपाला गोपाला, देवकीनंदन गोपाला का संदेश देनेवाले गाडगेबाबा का दस सूत्रीय कार्यक्रम जीवनभर अमल में लाना है, ऐसा शिंदे बताते है। इस काम में उनकी पत्नि सौ. भारती शिंदे, पुत्र विप्लव शिंदे, बेटी स्नेहल भोस्कर, पन्नालाल चौधरी, भोजेकर, धनंजय तावाडे, सहदेव राऊत आदि का सहयोग मिलता है। उन्होने इस सेवाकार्य में यथासंभव सभी से सहयोग की अपिल भी की है।

घर में बताए बिना बना दिया वृध्दाश्रम

शिंदे के मन में सेवाभाव कुट कुट कर भरा है। गाडगेबाबा के आदर्शो पर चलते हुए उन्होने कभी किसी बात से समझौता नहीं किया। एक बार एक असहाय वृध्द को देख उनके मन में ख्याल आया। उन्होने घर में कुछ बताए बिना ही ३ एकड जमीन खरिद लीं। उसपर भव्य इमारत बनाई। घरवालों को खुशी हुई। इसपर उन्होने डेबू सावली नामक वृध्दाश्रम बना दिया। आज यहां २५ लोग रह रहे है। यहां पर सारी जरुरी सामग्री शिंदे स्वयं जुटाते है। इस कार्य में उनके व्यवसायी मित्र भी सहयोग देते है।

दिल के सुराग बुझाए

मासूम बालकों में जन्म से ही दिल में सुराग होने का प्रमाण यहां कुछ ज्यादा ही है। उसपर यह शल्यक्रिया हजारों नहीं बल्की लाखों रुपयों में होती है, जो गरिबों के बस की बात नहीं। शिंदे ने अपनी एक सहयोगी संस्था की मदद से ऐसे पीडितों पर नि:शुल्क उपचार का अभियान ही चलाया। ऐसा करनेवाले वे विदर्भ के पहले ही समाजसेवी है। अब तक दर्जनों को इसका लाभ हुआ है। मुंबई जाने-आने का खर्च, वहां रहने, खाने-पीने की सुविधा जुटा कर शल्यक्रिया करने की सेवा को चंद्रपुरवासि सलाम करते है।

Related posts

How a Londoner Undressed Herself In Public And Showed The World What Beauty Is!

Rise For India

“I AM DEAF & Am Not Normal Like Most Of You” But His Achievements Will Amaze You!

Rise For India

What Is It Like Being In A Pub For A Girl? Partying Comes At A Price!

Rise For India

Leave a Comment