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राज्य कर्मियों को सीखाया जा रहा मैनेजमेंट फंडा

राज्य सरकार ने भी अब कार्पोरेट कंपनियों की तर्ज पर अपने नवागत और गैरअनुभवी कर्मचारियों को असरदार कर्तव्यनिर्वाहन और तनावमूक्त कार्यव्यवहार के सोशिओसायको गूर सीखाना शुरु कर दिया है। चंद्रपुर में वनप्रबोधिनी को इसके लिए नियुक्त कर तमाम राज्य सरकारी कर्मचारियों को यहां से प्रशिक्षण देने की व्यवस्था जुटायी गयी है। अब तक यहां से दो बैच निकल चुकी है। इसके अच्छे परिणाम आने का दावा प्रशिक्षण संस्था ने किया है।
कार्पोरेट कंपनियां अक्सर अपने कर्मचारी से पूरी क्षमता से काम कराते हुए भी उसे तनावमूक्त रखती है। इससे वह स्वस्थ एवं उत्साह से अपने कार्यस्थल पर और घर में भी अपना व्यवहार रख पाता है। उसे समय का प्रबंधन, तनाव का प्रबंधन, सामाजिक सरोकार, काम के प्रति निष्ठा के लाभ, समर्पण की भावना के स्वास्थ्य लाभ, घर परिवार और समाज से जुडने के तरिके और वहां से अपने कर्तव्य को निखारने की कला इस तरह से पूर्ण रुप से खुशहाल कार्य तथा जीवन जीने की कला का मानसिक, वैज्ञानिक और सामाजिक दृष्टिकोन ही सीखाया जाता है। इसके लिए विविध संवाद, चलचित्र योगा, कसरत एवं कवायद के अलावा शॉर्टफिल्मस् जैसे माध्यमों का प्रयोग किया जा रहा है।
अक्सर ऐसा होता है…
सरकारी कर्मचारियों के रवैये का अध्ययन करने पर पता चलता है कि तमाम जिंदगी उसका व्यवहार नौकरी में एक वेतनभोगी के जैसा रहता है।  इसमें काम समय पर और असरदार ना होना, कामचोरी, रिश्वतखोरी, झुठ बोलना, इससे तनाव बढना, तबीयत खराब होना, सहकर्मियों से गलत व्यवहार होना, घर में भी इस तनाव का दुष्प्रभाव पडना, कभी कभी अधिक तनाव तथा गलत आदतों के चलते पर या आत्मघात जैसी गतिविधि को अंजाम देना ऐसे कई मामले सामने आते रहे है। यह ना हो इसलिए यह प्रशिक्षण बेहद कारगर है।

कर्मचारी कह रहे और थोडा प्लीज

यह प्रशिक्षण इतना कारगर और प्रभावी है कि ६ दिनों का प्रशिक्षण पूर्ण होने के बाद प्रशिक्षू कर्मचारी स्वयं कह रहे है कि इसके पहले उन्हे ऐसा कुछ सिखाया नहीं गया। यह बेहद कारगर और असरदार है। एक अच्छा कर्मचारीही नहीं एक अच्छे इन्सान के रुप में भी यह प्रशिक्षण संपूर्ण रुप से विकसित करने में कारगर है। इसलिए यह उन्हे फिर से दिया जाए, ऐसा वे कहते है।

असर दिखे, हम प्रयासरत है

चंद्रपुर वन प्रशासन, विकास व प्रबंधन प्रबोधिनी के अप्पर संचालक पी.बी.धानके ने बताया कि संचालक अशोक खडसे के मार्गदर्शन में यहां सरकार के निर्देशानुसार यह बुनियादी प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरु है। यशदा के मार्गदर्शन में इसे विकसित कर स्थानिय प्रशिक्षित विशेषज्ञों के सहयोग से इसे शुरु किया गया है। सरकार ने हमे राज्य प्रशासकिय प्रशिक्षण संस्था का ओहदा दिया है। इसके अंतर्गत क्लास थ्री एवं फोअर के कर्मचारियों को अच्छे कर्मचारी के गूर सिखाए जा रहे है। इसके अच्छे परिणाम प्राथमिक रुप में दिखाई दे रहे है। हमे उम्मीद है यह कर्मचारियों के कर्तव्य से बडे पैमाने पर सामने आए। हम इसके लिए प्रयासरत है।

कौन सीखा रहे है गूर

पहले ही अनुभवी और उच्च स्तर पर प्रशिक्षित ऐसे उम्दा जानकार यह प्रशिक्षण दे रहे है। इसमें जिला परिषद के सेवानिवृत्त डिप्टी सीईओ सुधीर मालेकर, सेवानिवृत्त प्राचार्य एवं योगाभ्यास के जानकार विजय मार्कन्डेवार, निवृत्त आरएफओ जी.सी. मेश्राम और अध्यापक गणत्रटवार  का समावेश है। राज्य सरकार अधिनस्थ विविध विभागों के कर्मचारियों को इन्ही गुरुओं से अच्छे कर्मचारी के गूर मिल रहे है। नये नये सेवा में आए कर्मचारियों को इसमें प्राथमिकता दी जाती है। तृतिय श्रेणी के कर्मचारियों को १२ दिन तो चतुर्थश्रेणी कर्मचारियों को ६ दिन तक यह प्रशिक्षण दिया जाता है। दोनों श्रेणियों के कर्मियों की अब तक दो बैच हो चुके है।

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